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आउटपुट डिवाइस क्या होती हैं ?
वे डिवाइस, जिनसे कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न परिणामों को प्राप्त किया जाता है, आउटपुट डिवाइस कहलाती है।
अन्य शब्दों में कहा जाए तो –
आउटपुट डिवाइस कंप्यूटर के वे हार्डवेयर होते हैं जो किसी सूचना को मानव के समझने योग्य रूप में परिवर्तित करते हैं। यह टेक्स्ट, ग्राफिक्स, टैक्टाइल, ऑडियो या वीडियो हो सकता है
उदाहरणों में मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, हेडफ़ोन, प्रोजेक्टर, जीपीएस डिवाइस, ऑप्टिकल मार्क रीडर और ब्रेल रीडर शामिल हैं।
सामान्य तौर पर कंप्यूटर के साथ उपयोग में आने वाले आउटपुट डिवाइस में मॉनीटर, प्रिंटर तथा स्पीकर शामिल होते हैं।
संक्षिप्त में आउटपुट डिवाइसेज निम्नलिखित कार्य पूर्ण करते हैं –
- सभी आउटपुट डिवाइसेज प्रक्रिया (Processing) के पश्चात कंप्यूटर, परिणामों (Results) को स्वीकार करते हैं।
- यह स्वीकृत परिणाम 1 तथा 0 के रूप में होता है। इनको मनुष्य के समझने योग्य रूप में बदलने का कार्य भी आउटपुट डिवाइसेज करती हैं।
- अंत में इन बदले हुये परिणामों को बाहरी दुनिया के सामने प्रस्तुत करते है।
सामान्य तौर पर उपयोग में आने वाले आउटपुट डिवाइस
मॉनीटर (Monitor)
मॉनीटर को विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहते हैं। यह देखने में टेलीविजन (T.V.) की तरह होता है। यह मुख्य आउटपुट डिवाइस है जो संसाधित (processed) डेटा या सूचना को टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो या वीडियो के रूप में प्रदर्शित करता है। मॉनीटर को उसके प्रदर्शित रंगों के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है –
मोनोक्रोम (Monochrome) – मोनोक्रोम दो शब्दों से मिलकर बना है। मोनो (Mono) जिसका अर्थ है एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात् रंग। इस प्रकार मॉनीटर आउटपुट को ब्लैक और वाइट रूप में प्रदर्शित करते हैं। (अब इस प्रकार के मॉनीटर का प्रचलन खत्म हो चुका है।)
ग्रे-स्केल (Gray-Scale) – ग्रेस्केल मॉनीटर विशेष प्रकार के मोनोक्रोम मॉनीटर होते हैं जो विभिन्न ग्रे-शेड्स (Gray Shades) में आउटपुट प्रदर्शित करते हैं।
रंगीन मॉनीटर (Color Monitor) – रंगीन मॉनीटर का प्रयोग उच्च रिजॉल्यूशन (High Resolution) में ग्राफिक्स को प्रदर्शित करने में किया जाता है। ये मॉनीटर RGB (Red – Blue – Green) विकिरणों के आउटपुट को प्रदर्शित करते हैं।
रंगों के अलावा मॉनीटर को फॉम फैक्टर के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है।
CRT Monitor – CRT मॉनीटर अब प्रचलन में नहीं हैं। यह वे मॉनीटर होते हैं जिसमें पिक्चर ट्यूब (Picture Tube Elements) एलीमेंट होता है जो पुरानी तरह की टी.वी. में होता था। यह ट्यूब CRT (Cathode Ray Tube)कहलाती हैं। सी.आर.टी तकनीक सस्ती और उत्तम रंगीन आउटपुट देने में सक्षम है।
फ्लैट पैनल मॉनीटर – CRT तकनीक के स्थान पर यह तकनीक विकसित की गयी है। इस तकनीक में आवेशित रसायनों और गैसों को कांच की प्लेटों के मध्य संयोजित किया जाता है। फ्लैट फैनल डिस्प्ले वजन में हल्की और विद्युत की कम खपत वाली होती है। फ्लैट पैनल डिस्प्ले में द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display – LCD) तकनीक प्रयोग की जाती है।
प्रिंटर (Printer)
प्रिंटर एक ऑनलाइन इनपुट डिवाइस है, जो कंप्यूटर से प्राप्त जानकारी को कागज पर छापता है। कागज पर आउटपुट की यह प्रतिलिपि, हार्ड कॉपी (Hard Copy) कहलाती है। कंप्यूटर से जानकारी का आउटपुट बहुत तेजी से मिलता है लेकिन प्रिंटर उतनी तेजी से काम नहीं कर पाता, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि यह जानकारी प्रिंटर में कहीं स्टोर की जा सके। इसलिए प्रिंटर में भी एक मेमोरी होती है। कंप्यूटर से प्रिंटर की इस मेमोरी में जानकारी भेज दी जाती है, जहाँ से जानकारी निकालकर धीरे-धीरे छापी जाती है।
प्रिंटिंग विधि के प्रकार (Types of Printing Method) – प्रिंटर द्वारा प्रिंटिंग दो प्रकार से की जाती है। 1) इम्पैक्ट प्रिंटिंग 2) नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग
इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing)
प्रिंटिंग की यह विधि टाइपराइटर की विधि के समान होती है जिसमें एक धातु का “हैमर” (Hammer) या प्रिंट हैड (Print Head) कागज या रिबन (Ribbon) पर टकराता है। इम्पैक्ट प्रिंटिंग में अक्षर, ठोस-मुद्रा अक्षरों (Solid Fonts) या डॉट – मैट्रिक (Dot-Matrix) विधि से कागज पर उभरते हैं।
ठोस मुद्रा अक्षर विधि में टाइपराइटर के समान अक्षरों के लिये धातु के ठोस टाइपसैट होते हैं जिन पर अक्षर उभरे रहते हैं तथा डॉट-मैट्रिक्स विधि में पिनों की ऊर्ध्वाधर (vertical) पंक्ति का एक प्रिंट होता है। इम्पैक्ट डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर प्रायः ठोस-मुद्रा अक्षर प्रिंटरों से उच्च गति के होते हैं। 100 से 200 कैरेक्टर प्रिंटरों के उदाहरणों में डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer) तथा डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot matrix Printer) प्रमुख हैं।
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing)
इस प्रिंटिंग में प्रिंट हैड और कागज के मध्य संपर्क नहीं होता है। नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग की अनेक विधियाँ है; जैसे इंकजेट (Ink-jet), लेज़र (Laser), थर्मल-ट्रांसफर (Thermal-transfer), इलेक्ट्रो-थर्मल (Electro-thermal) आदि।
थर्मल-ट्रांसफर प्रिंटर एक नयी तकनीक है जिसमें कागज पर वैक्स आधारित रिबन से स्याही का तापीय स्थानान्तरण होता है।
इलेक्ट्रो-थर्मल प्रिंटिंग (Electro-tharmal Printing) में एक विशेष कागज पर कैरेक्टर को गरम रॉड वाले प्रिंट हैड से चलाया जाता है। ये प्रिंटर सख्त होते हैं और इनके लिये विशेष कागज की आवश्यकता होती है।
प्रिंटर के प्रकार (Types of Printer)
प्रिंटिंग विधि के आधार पर प्रिंटर को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। 1) इम्पैक्ट प्रिंटर 2) नॉन इम्पेक्ट प्रिंटर
इम्पैक्ट प्रिंटर
- डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer)
- डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot-matrix Printer)
- लाइन प्रिंटर (Line Printer)
- चैन प्रिंटर (Chain Printer)
- ड्रम प्रिंटर (Drum Printer)
- बैंड प्रिंटर (Band Prnter)
डेजी व्हील प्रिंटर – यह ठोस मुद्रा-अक्षर (Solid Font) वाला इम्पैक्ट प्रिंटर है। इस प्रिंटर में व्हील या चक्र की सहायता से प्रिंटिंग होती है। इस प्रिंटर के प्रिंट हैड की आकृति एक खिले हुए फूल गुलबहार (Daisy) की तरह होने के कारण इसे डेजी व्हील (Daisy Wheel) कहा जाता है।
डेजी व्हील प्रिंटर की गति धीमी, लगभग 60 अक्षर प्रति सैकेण्ड होती है, लेकिन इसके आउटपुट की स्पष्टता उच्च होती है। इसके प्रिंट हैड में एक चक्र होता है जिसकी प्रत्येक स्पोक (Spoke) में एक कैरेक्टर का ठोस फोंट उभरा होता है। जिस अक्षर को छापना होता है उस अक्षर वाली स्पोक के ठीक स्थिति में आते ही एक विद्युत चलित हथौड़ा पीछे से उस पर चोट मारता है और वह अक्षर कागज पर छप जाता है। अक्षर छप जाने के बाद प्रिंट हैड आगे बढ़कर इसी क्रिया से अक्षरों की लाइन छापता चला जाता है। इस प्रकार के प्रिंटर अब लगभग ना के बराबर हैं।
डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot-matrix Printer) – यह एक इम्पैक्ट प्रिंटर होता है। अतः यह प्रिंटिंग करते समय काफी शोर करता है। इस प्रिंटर के प्रिंट हैड (Print Head) में अनेक पिनों (Pins) का एक मैट्रिक्स (Matrix) होता है और प्रत्येक पिन के रिबन पर कागज पर स्पर्श से एक डॉट (Dot) छपता है। अनेक डॉड्स को मिलाकर एक कैरेक्टर बनता है। प्रिंट हैड में 7, 9, 14, 18, या 24 पिनों का ऊर्ध्वाधर (vertical) समूह होता है। एक बार में एक कॉलम कि पिनें प्रिंट हैड से बाहर निकालकर डॉट्स (Dots) छापती हैं, जिससे एक कैरेक्टर अनेक स्टेप्स में बनता है। डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर की गति 30 से 600 कैरेक्टर प्रति सैकेण्ड होती है।
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में पूर्वनिर्मित मुद्रा-अक्षर नहीं होते हैं इसलिए ये विभिन्न आकार, प्रकार और भाषा के कैरेक्टर, ग्राफिक आदि छाप सकता है। यह प्रिंटर ड्राफ्ट क्वालिटी प्रिंटिंग तथा नियर लेटर क्वालिटी प्रिंटिंग में आउटपुट को छाप सकता है।
लाइन प्रिंटर (Line Printer) – लाइन प्रिंटर आउटपुट की एक लाइन एक बार में छापता है। अधिकतर लाइन प्रिंटर इम्पैक्ट प्रिंटिंग तकनीक का प्रयोग करते हैं। इनकी छापने की गति 300 से 3000 लाइन प्रति मिनट होती है। ये मिनी कंप्यूटर और मेनफ्रेम कंप्युटरों में बड़े कार्यों हेतु प्रयोग किये जाते हैं। लाइन प्रिंटर के अंतर्गत 1) ड्रम प्रिंटर (Drum Prnter) 2) चेन प्रिंटर (Chain Printer) 3) बैंड प्रिंटर (Band Pinter)
ड्रम प्रिंटर (Drum Printer) – ड्रम प्रिंटर में तेज घूमने वाला एक ड्रम होता है जिसकी सतह पर अक्षर उभरे रहते हैं। एक बैंड पर सभी अक्षरों का एक समूह होता है, ऐसे अनेक बैंड ड्रम पर होते हैं। जिससे कागज पर लाइन की प्रत्येक स्थिति में कैरेक्टर छापे जा सकते हैं। ड्रम तेजी से घूमता है और एक रोटेशन (Rotation) में एक लाइन छापता है। एक तेज गति का हैमर (Hammer) प्रत्येक बैंड के उचित कैरेक्टर पर कागज के विरुद्ध टकराता है और एक घूर्णन (Rotation) पूरा होने पर एक लाइन छापी जाती है।
चेन प्रिंटर (Chain Printer) – इस प्रिंटर में एक चेन होती है जो बहुत तेजी से घूमती है। चेन में कैरेक्टर होते हैं। प्रत्येक कड़ी में एक कैरेक्टर का फॉन्ट होता है। प्रत्येक प्रिंट स्थान पर हैमर लगे रहते हैं। हैमर कागज और कैरेक्टर से टकराकर एक बार में एक लाइन छाप देता है।
बैंड प्रिंटर (Band Printer) – बैंड प्रिंटर चेन प्रिंटर के समान कार्य करता है। इसमें चेन के स्थान पर स्टील का एक प्रिंट बैंड (Print Band) होता है। हैमर के बल से छपने वाला उचित कैरेक्टर कागज पर छप जाता है।
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर प्रिंटहैड या हैमर का इस्तेमाल करके प्रिंट नहीं करते, ये कागज और प्रिंटिंग मशीनरी के बीच सीधे भौतिक संपर्क के बिना अक्षरों और छवियों को प्रिंट करते हैं। ये प्रिंटर एक बार में पूरे पेज को प्रिंट कर सकते हैं, इसलिए इन्हें पेज प्रिंटर भी कहा जाता है।
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर में निम्नलिखित शामिल हैं।
- लेजर प्रिंटर (Laser Printer)
- इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer)
लेजर प्रिंटर (Laser Printer) – लेज़र प्रिंटर एक नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर है जो अक्षरों को प्रिंट करने के लिए लेज़र बीम का उपयोग करता है। लेजर बीम ड्रम से टकराता है, जो एक फोटोरिसेप्टर है और ड्रम पर विद्युत आवेशों को बदलकर ड्रम पर छवि खींचता है। इस तकनीक में गर्मी तथा दबाव का उपयोग करके कागज पर अक्षर तथा चित्र प्रिंट किए जाते हैं।
इंकजेट प्रिंटर – इंकजेट प्रिंटर अपेक्षाकृत नई तकनीक पर आधारित नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर हैं। ये कागज पर स्याही की छोटी-छोटी बूंदों का छिड़काव करके अक्षरों तथा चित्रों को छापते हैं।
प्लॉटर (Plotter)
प्लाटर एक आउटपुट डिवाइस है जो चार्ट्स, चित्र, डिजाइन और अन्य प्रकार की हार्ड कॉपी प्रिंट करने का कार्य करता है। प्लॉटर सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं – ड्रम एवं प्लैट बेड प्लॉटर।
ड्रम प्लॉटर में जिस कागज पर डिजाइन बनाना होता है उसे ड्रम के उपर रखा जाता है। ड्रम वर्टिकल (Vertical) गति के लिए आगे-पीछे होता है। इस तकनीक में एक या एक से अधिक पेन का भी प्रयोग होता है जो कि ड्रम के हॉरिज़ॉन्टली (Horizontally) लगे होते हैं। ड्रम तथा पेन एक साथ कंप्यूटर के नियंत्रण में गति करते हैं। दोनों के एक साथ मूव होने पर ग्राफ तथा डिजाइन बनते हैं।
फ्लैट बेड प्लॉटर में कागज के स्थिर अवस्था में एक बेड (Bed) या ट्रे (Tray) में रखा जाता है। एक भुजा पर पेन चढ़ा रहता है। जो मोटर से कागज पर ऊपर-नीचे (Y-अक्ष) और दायें-बायें (X-अक्ष) पर गतिशील होता है। कंप्यूटर पेन को X-Y अक्ष की दिशाओं में नियंत्रित करता है और कागज पर आकृति चित्रित करता है।
स्पीकर (Speaker)
स्पीकर की सहायता से हम एक मल्टीमीडिया कंप्यूटर सिस्टम के सारे प्रोग्रामों की साउंड (Sounds), संगीत (Music) आदि को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। स्पीकर के माध्यम से हम संगीत, चलचित्र तथा गेम्स की तरह-तरह की आवाजों का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
हैडफोन – हैडफोन भी एक आउटपुट डिवाइस होता है जो कंप्यूटर से प्राप्त ध्वनि को उपयोगकर्ता तक पहुँचाता है। हैडफोन और स्पीकर में बस इतना अंतर होता है कि स्पीकर एक साथ बहुत से लोगों तक ध्वनि को पहुँचाता है जबकि हैडफोन फिर्फ उस यूजर तक ध्वनि को पहुँचाता है जो हैडफोन को स्वयं के सिर पर पहना हो।
प्रोजेक्टर (Projector)
प्रोजेक्टर एक आउटपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से कोई यूजर कंप्यूटर की स्क्रीन को किसी बड़ी जगह जैसे पर्दे या दीवाल पर प्रोजेक्ट कर सकता है। प्रोजेक्टर की सहायता से किसी भी डिवाइस के विजुअल आउटपुट को बड़ी स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करके देखा जा सकता है। प्रोजेक्टर चित्रों को बड़ा दिखाने के लिए लाइट तथा लेंस का उपयोग करता है।
इसका उपयोग प्रस्तुतीकरण देने या बड़ी संख्या में लोगों को पढ़ाने के लिए किया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग एक साथ कंप्यूटर से प्राप्त होने वाले विजुअल को देख सकें।
यह थी आउटपुट डिवाइस की सूची जिनका उपयोग हम दिन प्रतिदिन में देखते ही रहते हैं। इनके अलावा और भी बहुत सारे आउटपुट डिवाइस हैं जिनका उपयोग हम आमतौर पर नहीं देखते या उन्हें महसूस नहीं कर पाते हैं।