एक माइक्रोप्रोसेसर बनाना बहुत ही जटिल कार्य होता है इसे हर कोई नहीं कर सकता। इसलिए आपने ज्यादातर केवल दो ही कंपनियों के प्रोसेसर देखे होंगे इंटेल और ए.एम.डी।
प्रोसेसर बनाने के लिए कई काम इतनी शुद्धता से करने पड़ते हैं की उनकी फैक्टरी बनाने में ही 20 से 30 बिलियन डॉलर का खर्च पड़ता है जो कि बहुत सारी कंपनियाँ इस खर्च को नहीं उठा सकती हैं। पर जो कंपनियाँ प्रोसेसर बनाती हैं वो इस काम में महारत हासिल कर चुकी हैं।
विषय – सूची
एक माइक्रोप्रोसेसर बनाने के लिए हमे जिस चीज की जरूरत पड़ती है वो है रेत। सिलिका रेत।
सीपीयू बनने की शुरूआत रेत से होती है।
रेत (sand), जो 25 प्रतिशत सिलिकॉन से मिलकर बना है। ऑक्सीजन के बाद दूसरा सबसे ज्यादा प्रचुर मात्रा में धरती की सतह पर पाया जाने वाला तत्व। रेत, विशेष रूप से क्वार्ट्ज, में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2) के रूप में सिलिकॉन का अधिक प्रतिशत होता है और सेमीकंडक्टर (semiconductor/अर्धचालक) निर्माण के लिए यह एक आधारभूत तत्व है।
शुद्धिकरण (Purification)
शुद्धीकरण प्रक्रिया से पहले रेत से सिलिकॉन को पृथक (separate) किया जाता है। रेत से सिलिकॉन को पृथक (separate) करने के लिए रेत को हजारों डिग्री तापमान पर गर्म किया जाता है ताकि रेत से सिलिकॉन को पृथक किया जा सके। रेत और सिलिकॉन को अलग करने के बाद, अतिरिक्त सामग्री को अलग कर दिया किया जाता है। सेमीकंडक्टर के निर्माण वाली गुणवत्ता तक पहुंचने के लिए सिलिकॉन को कई चरणों में शुद्ध किया जाता है जिसे इलेक्ट्रॉनिक ग्रेड सिलिकॉन कहा जाता है। इलेक्ट्रॉनिक ग्रेड सिलिकॉन इतना शुद्ध होता है की उसमें प्रत्येक एक अरब सिलिकॉन परमाणुओं (atoms) के लिए केवल एक अतिरिक्त परमाणु (atom) हो सकता है।
शुद्धिकरण (Purification) प्रक्रिया के बाद, सिलिकॉन पिघलने के चरण में प्रवेश करता है। आप ऊपर फोटो में देख सकते हैं की कैसे सिलिकॉन को पिघला कर एक मोनो-क्रिस्टल के रूप में बनाया जा रहा है। इसे एक Ingot (धातु-पिंड) कहा जाता है।
एक बड़ा Ingot
इलेक्ट्रॉनिक ग्रेड सिलिकॉन से एक मोनो-क्रिस्टल पिंड का उत्पादन किया जाता है। एक पिंड का वजन लगभग 100 किलोग्राम होता है और इसकी सिलिकॉन शुद्धता 99.9999 प्रतिशत होती है।
धातु पिंड को स्लाइस में बांटना (Ingot Slicing)
इतना होने के बाद Ingot को स्लाइसिंग चरण पर ले जाया जाता है जहां Ingot को पतले पतले स्लाइस में काटा जाता है उससे निकली एक-एक सिलिकॉन डिस्क को वेफर्स कहा जाता है। कुछ Ignot पांच फीट से भी ऊंचे हो सकते हैं। वेफर के डायमीटर की आवश्यकता अनुसार Ingot का आकार रखा जाता है। सीपीयू आमतौर पर 300 mm वेफर्स पर बनाए जाते हैं।
वेफर की पॉलिशिंग (Wafer Polishing)
एक बार कट जाने के बाद, वेफर्स को तब तक पॉलिश किया जाता है जब तक कि उनकी सतह दर्पण (mirror) के समान चिकनी न हो जाए। कई बार प्रोसेसर निर्माता स्वयं ingot और वेफर्स का उत्पादन नहीं करते है, इसके बजाय वे किसी दूसरी कंपनियों से पहले से निर्मित वेफर्स खरीद लेते हैं। इंटेल की बात की जाए, जब इंटेल ने पहली बार चिप्स बनाना शुरू किया, तो उसने 50 mm (2-इंच) वेफर्स पर सर्किट प्रिंट किए थे। पर इन दिनों, इंटेल 300 mm वेफर्स का उपयोग करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति चिप लागत में कमी आती है।
फोटोलिथोग्राफी (Photolithography)
फोटोलिथोग्राफी वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक खास तरह का पैटर्न वेफर पर प्रिंट किया जाता है। फोटोलीथोग्राफी प्रक्रिया में एक नीला लिक्विड (liquid) जिसे photoresist कहा जाता है, को वेफर पर तब डाला जाता है, जब वेफर अपने अक्ष पर गूम रहा होता है।
Photoresist नाम के पीछे एक छोटा सा फैक्ट है। यह प्रकाश (Photo) की कुछ खास फ्रेक्वेंसी (frequencies) के प्रति संवेदनशील (sensitive) होता है। और कुछ केमिकल के प्रति रेसिस्टेंट दिखाता है जिनका उपयोग बाद में मटेरियल की लेयर (“resist”) को हटाने के लिए किया जाता है।
यूवी लाइट एक्सपोजर (UV Light Exposure)
Photoresist कठोर होता है। और इसके कुछ हिस्से अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट के संपर्क में आने से यह घुलनशील (soluble) हो जाते हैं। एक्सपोजर करते समय मास्क का उपयोग किया जाता है जो stencils की तरह काम करता है। इससे केवल खास तरह का photoresist पैटर्न ही घुलनशील बन पाता है। मास्क पर सर्किट के पैटर्न का इमेज होता है जो वेफर पर बन जाता है। इसे ऑप्टिकल लेंस के माध्यम से बहुत छोटा किया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा सर्किट के पैटर्न वेफर पर बनाए जा सकें। यह प्रक्रिया तब तक दोहराइ जाती है जब तक पूरे वेफर पर यह पैटर्न ना बन जाएं।
ऊपर दिखाई गई फोटो में एक ट्रांज़िस्टर का चित्रण है, कुछ इस तरह होता एक ट्राज़िस्टर यदि हम उसे नग्न आंखों से देख पाते तो।
एक ट्रांजिस्टर एक स्विच के रूप में कार्य करता है, जो कंप्यूटर चिप में विद्युत के प्रवाह (flow of electrical current) को नियंत्रित करता है।
Photoresist की धुलाई (Photoresist washing)
यूवी लाइट के संपर्क में आने के बाद, photoresist का वो क्षेत्र जो यूवी लाइट में उजागृत था वह पूरी तरह से घुल जाता है। इसके बाद मास्क के माध्यम से बनाए गए photoresist का एक पैटर्न दिखने लगता है।
एचिंग (Etching)
fin और tri-gate ट्रंजिस्टर बनाने के लिए Photoresist लेयर वेफर के उन मटेरियल का बचाव करती है जिन्हें वेफर पर उपस्थित रहना चाहिए। जिन क्षेत्रों को उजागर किया गया था उन्हें रसायनों से दूर किया जाता है।
फोटोरेज़िस्ट का हटाना (Photoresist removal)
एचिंग के बाद, photoresist हटा दिया जाता है और बाकी बचा आकार दिखाई देता है।
पुनः और Photoresist अप्लाई करना (Reapplying More Photo Resist)
एक बार और फोटोरेज़िस्ट (नीला) लगाया जाता है और फिर यूवी लाइट के संपर्क में लाया जाता है। अगले चरण जिसका नाम “आयन डोपिंग” है से पहले उजागृत फोटोरेज़िस्ट को फिर से धुल कर हटा दिया जाता है।
आयन डोपिंग (Ion Doping)
वेफर पर photoresist के माध्यम से जो पैटर्न बनाया गया था उस पर लाइट बीम के माध्यम से आयन (Ion) की बारिश करवाई जाती है। पैटर्न का जो हिस्सा फोटोरेजिस्ट से कवर नहीं होता उसकी सतह के नीच Ion (positively or negatively charged atoms) बिछ जाते हैं। इस प्रक्रिया को डोपिंग (Doping) कहा जाता है। चुनिंदा जगहों पर सिलिकॉन को conductive और insulating बनाने के लिए उसमें कुछ अशुद्धियां डाली जाती हैं (यह आयन के प्रकार पर निर्भर करता है)।
photoresist हटाना
आयन इम्प्लांटेशन (Implantation) के बाद फोटोरेजिस्ट को हटा दिया जाता है। वेफर के बाकी बचे हिस्से पर पेटर्न के अनुसार Doped आयन (हरा) ही बचता है। यहाँ से ट्रांज़िस्टर का निर्माण किया जाता है।
इंसुलेटर (Insulator)
पूरे वेफर पर सिलिकॉन डाइऑक्साइड की एक लेयर चढ़ाई जाती है ताकि ट्रांज़िसटर अन्य तत्व से इंसुलेट (insulate) हो सके।
ट्रांज़िस्टर (Transistor)
ट्रांजिस्टर के ऊपर इंसुलेशन लेयर (मैजेंटा कलर) में तीन छेद किए गए हैं। इन तीन छेदों को कॉपर (तांबे) से भर दिया जाएगा, जो अन्य ट्रांजिस्टर से कनेक्शन बना देगा। (यह वेफर की जूम representation फोटो है)
वेफर इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating The Wafer)
इस चरण में पर वेफर्स को कॉपर सल्फेट के घोल में डाल दिया जाता है। कॉपर आयनों को इलेक्ट्रोप्लेटिंग नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से ट्रांजिस्टर पर उतारा जाता है। कॉपर आयन धनात्मक टर्मिनल (positive terminal – anode) से ऋणात्मक टर्मिनल (negative terminal – cathode) तक जाते हैं, वेफर द्वारा दर्शाया गया है।
आयन सेट्लिंग (Ion Settling)
कॉपर आयन को वेफर की सतह पर एक पतली परत के रूप में चढ़ाया जाता हैं।
अतिरिक्त मटेरियल की पॉलिशिंग (Polishing Excess Material)
कॉपर (तांबे) की एक बहुत पतली परत छोड़कर अतिरिक्त सामग्री को पॉलिश किया जाता है।
मेटल लेयर (Metal Layers)
विभिन्न ट्रांजिस्टरों के बीच परस्पर कनेक्शन (interconnects वायर की तरह) के लिए कई धातु परतें बनाई जाती हैं। इन कनेक्शनों को “wired” कैसे होना चाहिए, यह आर्किटेक्चर और डिज़ाइन टीमों द्वारा निर्धारित किया जाता है जो संबंधित प्रोसेसर की फंक्शनलिटी और विकास कार्य देखते हैं।
कंप्यूटर चिप दिखने में बेहद सपाट दिखती है जबकि उनमें 20 से अधिक परतों की जटिल सर्किटरी (circuitry) हो सकती है।
वेफर शॉर्ट टेस्ट (Wafer Sort Test)
इतनी प्रक्रिया से गुजर जाने के बाद वेफर को एक इलेक्ट्रिकल टेस्ट से गुजारा जाता है। जहाँ वेफर की प्रत्येक चिप में एक पैटर्न फीट किया जाता है। चिप से आने वाले रिस्पॉन्स को मॉनिटर किया जाता है तथा “सही उत्तर” से तुलना की जाती है।
वेफर को टुकड़ों में काटना (Wafer Slicing)
परीक्षणों के बाद यह निर्धारित किया जाता है की वेफर में प्रोसेसर की सभी यूनिट फंक्शनिंग हैं या नहीं। सबकुछ सही पाए जाने पर वेफर को टुकड़ों में काट दिया जाता है (जिसे डाई / Dies कहा जाता है)।
सही उत्तर वाली डाई (Die with right answer)
पैटर्न टेस्ट के दौरान जिन डाई ने सही उत्तर दिया था उन्हें अगले चरण (पैकेजिंग) के लिए भेज दिया जाता है। और जिन डाई ने गलत जवाब दिया था उन्हें अलग कर दिया जाता है। कुछ वर्ष पहले इंटेल ने इन खराब डाई से कीचेन बना दिए थे।
एक डाई ( A Die)
यह एक अकेली डाई है जिसे पिछले चरण (Slicing) में वेफर से काट कर अलग कर दिया गया है।
सीपीयू पैकेजिंग (CPU Packaging)
सब्सट्रेट (substrate), डाई (die), हीटस्प्रेडर (heatspreader) को साथ में रखकर एक पूर्ण प्रोसेसर का निर्माण किया जाता है। सब्सट्रेट का इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंटरफेस कुछ इस तरह से बनाया जाता है की वह कंप्यूटर के अन्य हिस्से से इंटरैक्ट (interact) कर सके।
हीटस्प्रेडर एक थर्मल इंटरफेस है जहाँ कुलिंग का समाधान किया जाएगा। यह ऑपरेशन के दौरान प्रोसेसर को ठंडा रखने में मदद करेगा।
एक संपूर्ण सी.पी.यू ( A Complete CPU)
एक माइक्रोप्रोसेसर पृथ्वी पर सबसे जटिल निर्मित उत्पाद में से एक है। वास्तव में, इसमें सैकड़ों चरण लगते हैं यहाँ पर सबसे महत्वपूर्ण चरणों को फोटो के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है।
सी.पी.यू टेस्टिंग (CPU Testing)
इस अंतिम परीक्षण के दौरान प्रोसेसर को उनकी प्रमुख विशेषताओं के लिए जाँचा परखा जाता है।
चिप या सीपीयू बिनिंग (CPU Binning)
परीक्षण के परिणामों के आधार पर समान क्षमताओं वाले प्रोसेसर को एक ही परिवहन (transporting) ट्रे में रखा जाता है। इस प्रक्रिया को “बिनिंग” कहा जाता है। बिनिंग एक प्रोसेसर की अधिकतम ऑपरेटिंग फ्रीक्वेंसी को निर्धारित करता है। इस आधार पर प्रोसेसर को बैचों में बांट दिया जाता है और स्पेसिफिकेशन के आधार पर बेचा जाता है।
यह थी एक प्रोसेसर को बनाने से लेकर बेचने तक सी संपूर्ण प्रक्रिया। इस प्रक्रिया में रेफेरेंस के तौर पर टॉम्स हार्डवेयर और इंटेल का बहुत बड़ा योगदान है।
Aapka samjhane ka tareeka kaafi accha hai
धन्यवाद Ashfak,
Me aapse ek milna sath hu
Aap jo kiya usake liya me aapko te dil se dhanewad karta hu
Me aapke pass free me 6moth tak kaam kruga 🙏