दूरसंचार विभाग (DoT – Department of Telecommunications) और भारत के सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती एक ऐसी तकनीक की खोज कर रहे हैं जो एक सक्रिय इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता के बिना वीडियो और मल्टीमीडिया सामग्री के अन्य रूपों को सीधे मोबाइल फोन पर प्रसारित (Broadcast) करने की सुविधा प्रदान करेगी।
इस तकनीक को डारेक्ट टू मोबाइल (D2M – Direct-to-Mobile) ब्रॉडकास्टिंग कहते हैं। यह तकनीक ब्रॉडबैंड की खपत और स्पेक्ट्रम के उपयोग में सुधार का दावा करती है।
प्रसार भारती डारेक्ट टू मोबाइल टेक्नोलॉजी की व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिए आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
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डायरेक्ट-टू-मोबाइल ब्रॉडकास्टिंग क्या है ? यह कैसे काम करता है।
यह तकनीक ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट के संयोजन पर आधारित है। इस तकनीक का उपयोग करके फोन टेरिस्टेरियल डिजिटल टीवी सिग्नल को पकड़ सकता है। जिस तरह की तकनीक का उपयोग करके हम फोन के माध्यम से रेडियो प्रसारण सुन पाते हैं D2M तकनीक इससे काफी मिलती जुलती है। फोन में लगा फ्रेक्वेंसी रिसीवर D2M की फ्रेक्वेंसी को पकड़ेगा और हम फोन में बिना इंटरनेट के मल्टीमीडिया कंटेंट देख पाएंगे।
D2M का उद्देश्य
टारेक्ट टू मोबाइल तकनीक के पीछे एक्सपर्ट्स का यह तर्क है की इससे नागरिकों तक जानकारी को सीधे प्रसारित किया जा सकता है। साथ ही इससे फेक न्यूज से छुटकारा पाने में सहायता मिलेगी।
D2M तकनीक से होने वाले लाभ
आपातकालीन अलर्ट भेजने के लिए D2M तकनीक का सहारा लिया जा सकता है। इसके माध्यम से कोई भी सूचना लोगों के मोबाइल में डायरेक्ट ब्रॉडकास्ट की जा सकती है।
लाइव ब्रॉडकास्ट– D2M के जरिए समाचारों, स्पोर्ट्स को डायरेक्ट मोबाइल पर लाइव प्रकाशित किया जा सकेगा।
D2M सेवा का सबसे बड़ा मुख्य लाभ यह होगा की कुछ भी ब्रॉडकास्ट करने के लिए हमें इंटरनेट पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
यह उपभोक्ता और व्यवसाय को किस तरह से प्रभावित करेगा।
इस सेवा के आ जाने के बाद लोगों को वीडियो ऑन डिमांड (VOD) तथा ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने के लिए मोबाइल डाटा खर्च नहीं करना पड़ेगा। इस तकनीक के आ जाने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी आसानी से वीडियों कंटेंट को देख सकेंगे।
व्यावसायिक दृष्टिकोण से इस तकनीक के आ जाने के बाद टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर अपना सारा वीडियो ट्राफिक मोबाइल नेटवर्क से हटाकर ब्रॉडकास्ट नेटवर्क पर शिफ्ट कर सकते हैं इससे मोबाइल नेटवर्क स्पेक्ट्रम की बचत होगी और इसका इस्तेमाल सही जगह पर किया जा सकेगा। इससे कॉल ड्रॉप की समस्या को भी कम किया जा सकेगा।
सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदम
दूरसंचार विभाग (DoT) ने उपयोगकर्ताओं के स्मार्टफोन पर सीधे प्रसारण सेवाएं देने के लिए एक स्पेक्ट्रम बैंड की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है। DoT के सचिव राजारमन जी का कहना है “बैंड 526-582 मेगाहर्ट्ज परस्पर मोबाइल नोटवर्क और ब्रॉडकास्ट के साथ समन्वय से कार्य करेंगे”। DoT ने इस बैंड का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है, उन्होंने कहा। “फिलहाल इस बैंड का इस्तेमाल देशभर में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय टीवी ट्रांसमीटर के लिए करता है।”
प्रसार भारती (प्रसारक) ने पिछले साल टेक्नोलॉजी की व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिए IIT कानपुर के साथ सहयोग की घोषणा की थी।
चुनौतियाँ
इस टेक्नोलॉजी को पब्लिक के लिए रोलआउट करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रसार भारती के सीईओ ने कहा है कि बड़े पैमाने पर डी2एम तकनीक को लॉन्च करने में मोबाइल ऑपरेटरों जैसे प्रमुख हितधारकों को शामिल करना “सबसे बड़ी चुनौती” होगी। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर रोल आउट के लिए बुनियादी ढांचे में बदलाव और कुछ नियामक परिवर्तन करने होंगे।